तुलसीदास (Tulsidas) एक प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक थे जो 16वीं शताब्दी के दौरान भारत में रहते थे। वह अपने महाकाव्य काम, रामचरितमानस के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जो हिंदी की अवधी बोली में प्राचीन हिंदू महाकाव्य, रामायण का पुनर्कथन है। तुलसीदास को हिंदी साहित्य के इतिहास में सबसे महान कवियों में से एक माना जाता है, और उनके कार्यों को सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा व्यापक रूप से पढ़ा और सम्मानित किया जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early Life and Education):
तुलसीदास का जन्म 12 जुलाई, 1532 को उत्तरी भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में वाराणसी शहर के पास एक छोटे से गाँव राजापुर में हुआ था। उनके माता-पिता हुलसी और आत्माराम दुबे थे, जो ब्राह्मण थे और विद्वान विद्वानों के परिवार से थे। तुलसीदास का मूल नाम रामबोला था, लेकिन बाद में उन्होंने भगवान राम के भक्त बनने के बाद इसे बदलकर तुलसीदास रख लिया।
तुलसीदास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के मार्गदर्शन में घर पर ही प्राप्त की। उन्होंने संस्कृत, हिंदी और संगीत, ज्योतिष और दर्शन सहित कई अन्य विषयों को सीखा। उन्होंने वेदों, उपनिषदों और पुराणों सहित प्राचीन हिंदू शास्त्रों का भी अध्ययन किया और उनकी शिक्षाओं से अच्छी तरह वाकिफ हुए।
आजीविका (Career):
तुलसीदास ने अपना करियर संस्कृत और हिंदी के शिक्षक के रूप में शुरू किया, और उन्होंने स्थानीय शासक की सेवा में क्लर्क के रूप में भी काम किया। हालाँकि, उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि उनकी असली बुलाहट कविता लिखना है, और उन्होंने भगवान राम की स्तुति में भक्ति गीतों और भजनों की रचना शुरू कर दी। उन्होंने रामायण पर एक टिप्पणी भी लिखना शुरू किया, जिसे बाद में उन्होंने महाकाव्य कृति, रामचरितमानस में विस्तारित किया।
तुलसीदास की रामचरितमानस हिंदी साहित्य की सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली रचनाओं में से एक है। यह भगवान राम के जीवन और रोमांच की कहानी कहता है, और इसमें कई दार्शनिक और आध्यात्मिक शिक्षाएं भी शामिल हैं। रामचरितमानस का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है, और इसे नाटकों, फिल्मों और कला के अन्य रूपों में रूपांतरित किया गया है।
रामचरितमानस के अलावा, तुलसीदास ने कविता की कई अन्य रचनाएँ लिखीं, जिनमें विनय पत्रिका, कवितावली और हनुमान चालीसा शामिल हैं। उन्होंने कई भक्ति गीतों और भजनों की भी रचना की, जो आज भी पूरे भारत में लोगों द्वारा गाए जाते हैं।
व्यक्तिगत जीवन (Personal Life):
तुलसीदास भगवान राम के भक्त थे, और उनका पूरा जीवन अपने भगवान की सेवा के लिए समर्पित था। उनका विवाह रत्नावली से हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद एक ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत किया। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन वाराणसी में बिताया, जहाँ उन्होंने भगवान राम को समर्पित एक मंदिर की स्थापना की।
परंपरा (Legacy):
तुलसीदास की रचनाओं का भारतीय संस्कृति और साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट कृति माना जाता है, और इसने कवियों और लेखकों की पीढ़ियों को प्रेरित किया है। तुलसीदास का भगवान के प्रति समर्पण का दर्शन और नैतिकता और नैतिकता पर उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रभावित करती हैं। उन्हें भारतीय इतिहास में सबसे महान संतों और कवियों में से एक माना जाता है, और उनका जन्मदिन हर साल तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है।
तुलसीदास दोहे हिंदी में (Tulsidas ke dohe in Hindi)
Tulsi das dohe with meaning in hindi
तुलसीदास द्वारा हिंदी में लिखे गए कुछ लोकप्रिय दोहे इस प्रकार हैं:–
बिनु पंथ राम का जीवन बूझ नहीं होय।
जानत न संसार माया मोह अविरत तोय।।
(Binu panth Rama ka jeevan boojh nahi hoy। Jaanat na sansar maya moh avirat toy॥)
Meaning: Without the path of Lord Rama, life cannot be understood. Those who are unaware of the world’s illusions and continuous temptations are ignorant.
सुख दुख दोनों सम करे, करते सम न जाय।
जब जाने तुलसी राम नाम तब जन्म फल ले जाय।।
(Sukh dukh donon sam kare, karte sam na jay। Jab jane Tulsidas Ram naam tab janm phal le jay॥)
Meaning: Both happiness and sorrow are equal, and they cannot be overcome. When Tulsidas realizes the power of Lord Rama’s name, he attains the fruit of his birth.
सब कुछ जीत लिया माली, तो मेरा क्या है।
जीते जीवन सारा, तो जीत है।।
(Sab kuchh jeet liya maali, to mera kya hai। Jeete jeevan saara, to jeet hai॥)
Meaning: If the gardener has won everything, what is the use to me? Winning the whole life is a real victory.
जो सुख में सब सुख मानते, बिना सुखे सब दुख पाते।
सुख दुख सम नहीं होत हैं, अब यह विवेक लाओ।।
(Jo sukh mein sab sukh maante, bina sukhe sab dukh paate। Sukh dukh sam nahi hote hain, ab yah vivek laao॥)
Meaning: Those who consider everything happy in happiness and without happiness experience only sorrow. Happiness and sorrow are not equal; realize this truth now.
निर्मल मन सब करे सुख, चंचल मन तो दुःखी होय।
ज्ञान बिना न धरे मन में, बिना ज्ञान सब अभिमान होय।।
(Nirmal man sab kare sukh, chanchal man to dukhi hoy। Gyan bina na dhare mann mein, bina gyan sab abhiman hoy॥)
Meaning: A pure mind experiences happiness in all situations, while an unstable mind remains unhappy. Without knowledge, the mind is filled with pride.
ज्ञान न बिनु अवगति के, गड़गड़ित बचन होय।
तुलसी सब भय बिनु बिद्या, संगति तेहि कोय।।
(Gyan na binu avagati ke, gadgadit bachan hoy। Tulsidas sab bhay binu vidya, sangati tehi koy॥)
Meaning: Without knowledge, one stumbles in speech. For Tulsidas, all fears disappear with knowledge, and the company of wise people.
सुख न शांति सम होत हैं, तुलसी सारे सोय।
अरु नाम न सेवन करे, तज्य बृथा जगत तोय।।
(Sukh na shanti sam hot hain, Tulsidas sare soy। Aru naam na sevan kare, tajya britha jagat toy॥)
Meaning: For Tulsidas, true happiness and peace are only found in devotion to Lord Rama. Those who don’t serve his name abandon the world in vain.
मन चंचल चाँदनी विशेष, अति कुसंगति नास।
तुलसी जो बसे मन माहीं, ता सो सुख निरास।।
(Man chanchal chandni visheh, ati kusangati nas। Tulsidas jo base man maahi, ta so sukh nirash॥)
Meaning: An unstable mind is like a flickering flame, and bad company destroys it. For Tulsidas, only the mind that remains immersed in Lord Rama’s thoughts experiences true happiness.
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो मिलाय।।
(Guru Govind dou khade, kake lagoo paay। Balihari guru aapne, Govind diyo milaay॥)
Meaning: Guru and Govind (God) both stand in front of me, whom should I bow to first? Tulsidas says, I give priority to the Guru because it is through the Guru that I have received the grace of Govind.
चारि वर्णा करै सब कोय, उरउ परदेसु जाय।
तुलसी भजन बिनु जीवन नहीं, नर पशु पद पाय।।
(Chaari varnaa karai sab koy, urau pardesu jaay। Tulsii bhajan binu jivan nahi, nar pashu pad paay॥)
Meaning: All people can adopt any profession they want, but if they neglect devotion to God, they are like animals. Tulsidas says that without devotion, life is meaningless.
जो सुख दुःख अपने मन को, मन में न रखे कोय।
अधिक अहंकार अधिक, त्यागि अधम परजा जोय।।
(Jo sukh dukh apne man ko, man mein na rakhe koy। Adhik ahankaar adhik, tyaagi adham parjaa joy॥)
Meaning: Whoever doesn’t hold onto their own joys and sorrows in their mind is the best. They give up excessive pride and abandon the company of bad people.
राम नाम बिनु लघु अधिकाई, तुम प्राण जियत ना लाई। तुलसी भजन राम को बेद, सब धर्मों का मूल हैं।।
(Raam naam binu laghu adhikaayi, tum praan jiyat na laayi। Tulsii bhajan Raam ko bed, sab dharmo ka mool hain॥)
Meaning: Without the name of Rama, everything is insignificant. Tulsidas says that the devotion to Lord Rama is the root of all religions.
तुलसीदास चित्र (Tulsidas Images/Tulsidas Photo)
तुलसी दास पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
तुलसी दास का जन्म कब हुआ था?
तुलसी दास का जन्म सन् 1532 ईस्वी में हुआ था।
तुलसी दास की शिक्षा कहां से हुई थी?
तुलसी दास की शिक्षा जोशी मठ से मिली थी जो वाराणसी में स्थित है।
तुलसी दास के रामचरितमानस की रचना कब हुई थी?
तुलसी दास ने रामचरितमानस की रचना 1574 ईस्वी में की थी।
तुलसी दास की रामचरितमानस में कितने दोहे हैं?
तुलसी दास की रामचरितमानस में 10,000 से अधिक दोहे हैं।
तुलसी दास ने किस धर्म का प्रचार किया था?
तुलसी दास ने हिंदू धर्म का प्रचार किया था।
तुलसी दास ने किस धर्म के दोहे लिखे थे?
तुलसी दास ने हिंदू धर्म के दोहे लिखे थे।