महत्वपूर्ण प्रश्न: कक्षा 10 गणित अध्याय 1 वास्तविक संख्याएँ

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1 वास्तविक संख्याएँ क्या हैं?

वास्तविक संख्याएँ क्या हैं?

वास्तविक संख्याएँ गणित में एक महत्वपूर्ण अवधारणा हैं। वे सरल रेखा पर निरूपित किए जाने वाले मानों का समूह हैं। वास्तविक संख्याओं में सभी परिमेय संख्याएँ (जैसे 1/2, 3/4) और अपरिमेय संख्याएँ (जैसे √2) शामिल हैं।

वास्तविक संख्याओं के प्रकार:

  • परिमेय संख्याएँ: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0। उदाहरण: 1, 2/3, -5/4
  • अपरिमेय संख्याएँ: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0। उदाहरण: √2, π

वास्तविक संख्याओं के गुण:

  • वास्तविक संख्याओं का योग, घटाव, गुणा और भाग एक वास्तविक संख्या देता है।
  • वास्तविक संख्याओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है (जैसे >, <, =)।
  • वास्तविक संख्याओं का उपयोग भौतिकी, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में माप के लिए किया जाता है।

वास्तविक संख्याओं के कुछ उदाहरण:

  • तापमान (जैसे 25°C)
  • द्रव्यमान (जैसे 5 किलोग्राम)
  • दूरी (जैसे 10 मीटर)
  • समय (जैसे 3 घंटे)

वास्तविक संख्याओं का महत्व:

  • वास्तविक संख्याएँ गणित और विज्ञान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • उनका उपयोग विभिन्न प्रकार की समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है, जैसे कि गति, दूरी और समय की गणना।
  • वास्तविक संख्याएँ हमें अपने आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती हैं।

परिमेय संख्याएँ क्या हैं?

परिमेय संख्याएँ वे वास्तविक संख्याएँ होती हैं जिन्हें दो पूर्ण संख्याओं के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, यदि किसी संख्या को a/b के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ a और b पूर्ण संख्याएँ हैं और b शून्य नहीं है, तो वह संख्या परिमेय संख्या है।

उदाहरण:

  • 1, 2, 3, 4, 5, आदि सभी पूर्ण संख्याएँ परिमेय संख्याएँ हैं।
  • 1/2, 3/4, 5/6, आदि सभी भिन्न परिमेय संख्याएँ हैं।
  • 0.5, 0.25, 0.75, आदि सभी दशमलव संख्याएँ जो परिमित संख्या में अंकों तक समाप्त होती हैं, परिमेय संख्याएँ हैं।

परिमेय संख्याओं के गुण:

  • दो परिमेय संख्याओं का योग, अंतर, गुणनफल और भागफल भी परिमेय संख्या होता है।
  • शून्य और एक भी परिमेय संख्याएँ हैं।
  • सभी पूर्णांक और भिन्न परिमेय संख्याएँ हैं।
  • सभी दशमलव संख्याएँ जो परिमित संख्या में अंकों तक समाप्त होती हैं, परिमेय संख्याएँ हैं।

अपरिमेय संख्याएँ क्या हैं?

अपरिमेय संख्याएँ वे वास्तविक संख्याएँ होती हैं जिन्हें दो पूर्ण संख्याओं के अनुपात के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, यदि किसी संख्या को a/b के रूप में नहीं लिखा जा सकता है, जहाँ a और b पूर्ण संख्याएँ हैं और b शून्य नहीं है, तो वह संख्या अपरिमेय संख्या है।

उदाहरण:

  • √2 (वर्गमूल 2)
  • π (पाई)
  • e (ई)
  • φ (फाई)

अपरिमेय संख्याओं के गुण:

  • दो अपरिमेय संख्याओं का योग, अंतर, गुणनफल या भागफल हमेशा अपरिमेय संख्या नहीं होता है।
  • शून्य और एक अपरिमेय संख्याएँ नहीं हैं।
  • कोई भी पूर्णांक या भिन्न अपरिमेय संख्या नहीं है।
  • कोई भी दशमलव संख्या जो अनंत और गैर-दोहराव वाले अंकों तक जाती है, अपरिमेय संख्या होती है।

अपरिमेय संख्याओं के कुछ उपयोग:

  • ज्यामिति: त्रिभुजों के कोणों की गणना, वृत्तों की परिधि और क्षेत्रफल की गणना
  • भौतिकी: गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व, प्रकाशिकी
  • गणित: संख्या सिद्धांत, बीजगणित, विश्लेषण

दो परिमेय संख्याओं के बीच में तीन परिमेय संख्याएँ दीजिए।

उत्तर:

मान लीजिए कि दो परिमेय संख्याएँ a और b हैं। इनके बीच में तीन परिमेय संख्याएँ इस प्रकार प्राप्त की जा सकती हैं:

  1. (a + b)/2
  2. (a + 3b)/4
  3. (3a + b)/4

उदाहरण:

यदि a = 1 और b = 2, तो इनके बीच में तीन परिमेय संख्याएँ इस प्रकार होंगी:

  1. (1 + 2)/2 = 1.5
  2. (1 + 3 * 2)/4 = 1.75
  3. (3 * 1 + 2)/4 = 1.25

0 और 0.1 के बीच में बीस परिमेय संख्याएँ कैसे प्राप्त करें?

उत्तर:

0 और 0.1 के बीच में बीस परिमेय संख्याएँ प्राप्त करने के लिए, हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग कर सकते हैं:

a + b/100

जहाँ a और b 0 से 19 तक की संख्याएँ हैं।

उदाहरण:

यदि a = 0 और b = 19, तो 0 और 0.1 के बीच में बीसवीं परिमेय संख्या इस प्रकार होगी:

0 + 19/100 = 0.19

0 और 0.1 के बीच किसी भी संख्या में परिमेय संख्याएँ निर्धारित करने की विधि बताइए।

उत्तर:

0 और 0.1 के बीच किसी भी संख्या में परिमेय संख्याएँ निर्धारित करने के लिए, हम निम्नलिखित विधि का उपयोग कर सकते हैं:

  1. 0 और 0.1 को दो अंकों की दशमलव संख्याओं के रूप में लिखें।
  2. इन दो संख्याओं के बीच अंतर ज्ञात करें।
  3. अंतर को वांछित संख्या में परिमेय संख्याओं की संख्या से विभाजित करें।
  4. प्राप्त भागफल को 0 और 0.1 में क्रमशः जोड़कर वांछित संख्या में परिमेय संख्याएँ प्राप्त करें।

उदाहरण:

मान लीजिए कि हमें 0 और 0.1 के बीच में 5 परिमेय संख्याएँ प्राप्त करनी हैं।

  1. 0 और 0.1 को दो अंकों की दशमलव संख्याओं के रूप में लिखने पर, 0.00 और 0.10 प्राप्त होते हैं।
  2. इन दो संख्याओं के बीच अंतर 0.10 – 0.00 = 0.10 है।
  3. 0.10 को 5 से विभाजित करने पर 0.02 प्राप्त होता है।
  4. 0.02 को 0 और 0.1 में क्रमशः जोड़ने पर 0.02, 0.04, 0.06, 0.08 और 0.10 प्राप्त होते हैं।

निम्नलिखित में से कौन-सी परिमेय संख्याएँ समापन दशमलव प्रदर्शन करती हैं?

उत्तर:

समापन दशमलव प्रदर्शन करने वाली परिमेय संख्याएँ वे हैं जिन्हें दशमलव रूप में व्यक्त करने पर, अंकों की संख्या सीमित होती है और वे दोहराते नहीं हैं।

उदाहरण:

1/2, 3/4, 5/8, आदि

मान लीजिए √2 अपरिमेय है, सिद्ध कीजिए कि (5 + 3√2) अपरिमेय है.

यदि a एक अपरिमेय संख्या है और b एक परिमेय संख्या है, तो a + b अपरिमेय है।

मान लीजिए (5 + 3√2) परिमेय है। इसका मतलब है कि इसे दो पूर्णांकों, p और q के अनुपात के रूप में लिखा जा सकता है, जहां q ≠ 0:

(5 + 3√2) = p/q

इस समीकरण को 3√2 से अलग करने पर:

3√2 = p/q – 5

इसका मतलब है कि 3√2 परिमेय है, जो इस धारणा का विरोध करता है कि √2 अपरिमेय है। इसलिए, (5 + 3√2) भी अपरिमेय होना चाहिए।

सिद्ध कीजिए कि 3√6 और 3√3 अपरिमेय संख्याएँ हैं?

यह सिद्ध करने के लिए कि 3√6 और 3√3 अपरिमेय हैं, हम विरोधाभास के प्रमाण का उपयोग कर सकते हैं। मान लीजिए कि ये संख्याएँ परिमेय हैं। फिर, उन्हें दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में लिखा जा सकता है। विस्तृत गणनाओं के माध्यम से, हम विरोधाभास तक पहुंचेंगे, जो यह साबित करेगा कि हमारी मूल धारणा गलत थी, और इसलिए, 3√6 और 3√3 अपरिमेय हैं।

सिद्ध कीजिए कि 2 + √2 एक परिमेय संख्या नहीं है?

यह सिद्ध करने के लिए कि 2 + √2 एक परिमेय संख्या नहीं है, हम विरोधाभास के प्रमाण का भी उपयोग कर सकते हैं। मान लीजिए कि यह एक परिमेय संख्या है। फिर, इसे दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में लिखा जा सकता है। विस्तृत गणनाओं के माध्यम से, हम विरोधाभास तक पहुंचेंगे, जो यह साबित करेगा कि हमारी मूल धारणा गलत थी, और इसलिए, 2 + √2 एक परिमेय संख्या नहीं है।

एक उदाहरण दीजिए जो यह दर्शाता है कि एक परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल एक परिमेय संख्या हो सकता है?

उदाहरण: √2 (एक अपरिमेय संख्या) को 2 (एक परिमेय संख्या) से गुणा करने पर 2√2 प्राप्त होता है। 2√2 भी एक अपरिमेय संख्या है, भले ही इसके गुणकों में से एक परिमेय हो।

सिद्ध कीजिए कि √3 – √2 और √3 + √5 अपरिमेय हैं?

सिद्ध करने के लिए, हम विरोधाभास के प्रमाण का उपयोग कर सकते हैं। प्रत्येक मामले के लिए, मान लीजिए कि दी गई संख्या परिमेय है। फिर, उन्हें दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में लिखा जा सकता है। विस्तृत गणनाओं के माध्यम से, हम विरोधाभास तक पहुंचेंगे, जो यह साबित करेगा कि हमारी मूल धारणा गलत थी, और इसलिए, √3 – √2 और √3 + √5 दोनों अपरिमेय हैं।

7/64, 12/125 और 451/13 को दशमलव रूप में व्यक्त कीजिए?

  • 7/64 = 0.1094 (लंबी विभाजन द्वारा)
  • 12/125 = 0.096 (लंबी विभाजन द्वारा)
  • 451/13 = 34.692 (लंबी विभाजन द्वारा)

√2 और √3 के बीच दो अपरिमेय संख्याएँ खोजिए?

अनंत रूप से कई अपरिमेय संख्याएँ हैं जो √2 और √3 के बीच मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, (√2 + √3)/2 और (3√2 – √3)/4 दोनों ही अपरिमेय हैं, और अन्य अनगिनत संख्याएँ भी हैं।

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